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03 दिसंबर 2010

आदिवासी बचाओ-पर्यावरण बचाओ” Posted by माणिक जी on August 16, 2010

गांधीवादी विचारक हिंमाशू कुमार ने ‘‘आदिवासी बचाओ-पर्यावरण बचाओ, लोकतन्त्र बचाओ-देश बचाओ’’ यात्रा के दौरान चित्तौडगढ में प्रयास द्वारा आयोजित गोष्ठी में छत्तीसगढ़ के दांतेवाड़ा जिले में आदिवासियों की दयनीय स्थिति का चित्रण करते हुए कहा कि देश में शान्ति और खुशहाली कायम करने के लिए सरकार आदिवासियों को न्याय दें। सरकार आदिवासियों के हितो की रक्षा नही वरन् उनको प्रताडित कर रही है। खनीज सम्पदा हासिल करने के लिए आदिवासियों के घर जलाना, खाद्यान्न जलाना, उनके घरो पर हमले कर उन्हें बेदखल करना आम बात है। महिलाओं, बच्चों, बुजुर्गो और नौजवानों के साथ अत्याचार बढ रहा है। इससे लोगों में आक्रोष फैल रहा है।

27 जून 2010 को, आपातकाल के ठीक दूसरे दिन से हिमांशू कुमार ने अपने दो साथियों (अभय कुमार वनवासी सेवा परिषद् और मिथिलेष कुमार) के साथ दिल्ली के राजघाट से भारत के लोगों को संदेश देने के लिए एक साइकिल यात्रा शुरू की है। यात्रा के दौरान उनका पहला राज्य हरियाणा था उसके बाद पंजाब होते हुए 17 जुलाई को उन्होंने सांगरिया, हनुमानगढ़ से राजस्थान में प्रवेश किया हैं। राजस्थान में वे एक महिना रहेंगे और 18 अगस्त, 2010 गुजरात के लिए प्रस्थान करेंगे।

हिमांषु कुमार की यात्रा दिनांक 13 अगस्त 2010 को भीलवाडा से सायं 4 बजे चित्तौडगढ पहुंची। चित्तौडगढ में स्थानिय नागरिकों द्वारा यात्रियों का स्वागत किया गया तथा सायं 4.30 बजे प्रयास कार्यालय 8 विजय काॅलोनी, चित्तौडगढ में प्रेस वार्ता एवं एक विचार संगोष्ठी का आयोजन किया गया। संगोष्ठी के शुभारम्भ में प्रयास सचिव डाॅ. नरेन्द्र गुप्ता ने सभी स्वागत करते हुए कहा कि सरकार किसानों से जमीन उनको विश्वास में लेकर ले और उनकी उद्योगों में हिस्सेदारी सुनिश्चित करें। जमीन का मालिकाना हक किसानों से नही छिने। आम जनता के हितो की रक्षा करें। संगोष्ठी में वरिष्ठ नागरिक मंच से जोषी जी, स्पिक मैके से माणक सोनी, जेपी भटनागर, सामाजिक कार्यकर्ता खेमराज चैधरी, बापूनाथ जोगी, जवाहर लाल मेघवाल, रितेश लढा, श्रीमती मनीषा व्यास, छत्रपाल सिंह सहित कई सामाजिक कार्यकर्ताओं ने भाग लिया। यात्रा दिनांक 14 अगस्त को जिले के विभिन्न गांवों से गुजरती हुई भदेसर पहुंची। भदेसर पंचायत समिति के भीलो का खेडा गांव में ग्रामीणों के साथ सभा आयोजित की गई। हिमांशु कुमार से आदिवासी अत्याचार की दास्तान सुन लोग आश्चर्य चकित हो गये। सामाजिक कार्यकर्ता खेमराज चैधरी ने कहा कि आजादी के 63 साल बाद भी आदिवासियों को इस प्रकार यातानाएं देकर सरकार उनके उपर जुल्म कर रही है जो गैर न्यायोचित है। प्रतिरोध संस्थान की समन्वयक श्रीमती सुमन चैहान ने कहा कि सरकार आदिवासियो को उचित न्याय देकर राहत प्रदान करें। यात्रा दिनांक 15 अगस्त को प्रात 9 बजे भदेसर से उदयपुर के लिए प्रस्थान करेंगी।

हिमांशु कुमार उनके कार्यो का संक्षिप्त में परिचय देते हुए कहा कि वहां पर आदिवासियों के न्याय के लिए किये जा रहे संघर्षों में अहिंसा के सिद्धान्तों को स्थापित करने के लिए वह दांतेवाड़ा वर्ष 1991 में गये थे। उनकी गुरू निर्माला देशपाण्डे (गांधीवादी व सर्वोदयी नेता) जी के कहने पे वहां गये थे। उन्होंने वहां पर विकास से संबंधी कार्य किये हैं, जैसे जंगल संबंधी अधिकार कानून की क्रियान्विति, नरेगा, भोजन का अधिकार, बच्चों से जुड़ी योजनाएं, शिक्षा, स्वास्थ्य, स्वच्छता आदि। जब राज्य सरकार के द्वारा आदिवासियों पर माओवादियों के नाम पर कई प्रकार के अत्याचार किये जा रहे थे तब हिमांशु जी ने उनके साथ खड़े होकर उन अत्याचारों के खिलाफ आवाज़ उठाना शुरू किया। उन्होने राज्य मानवाधिकार आयोग, राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग, बिलासपुर हाई कोर्ट, सुप्रीम कोर्ट में रिपोर्टस् फाइल करना शुरू किया तब वे सब उनको वहां से बाहर निकालने का प्रयास राज्य सरकार व पुलिस ने किया। सरकार ने वहां पर उनके खिलाफ बहुत बुरी हालात बना दिये हैं, उन्होने उनके आश्रम को ध्वस्त कर दिया, यहां तक कि दांतेवाड़ा में कोई उनको रहने के लिए मकान देने को तैयार नहीं है। जो महिलाएं पुलिस के द्वारा किये जा रहे अत्याचारों के खिलाफ मुनसिफ कोर्ट एवं सुप्रीम कार्ट में गई थीं उन महिलाओं का अपहरण पुलिस ने किया, उनके 2 कार्यकर्ताओं पर झूठे मामले बना कर जेल में डाल दिया। एक कार्यकर्ता को पुलिस ने गैर कानूनी रूप से हिरासत में ले कर पुलिस मुखबीर बनाने की कोशिश की तब बिलासपुर उच्च न्यायालय से उसे छुड़ाया गया। हिमांशु कुमार पिछले 18 वर्षो से छतीसगढ में आदिवासियों के साथ कार्य कर रहे हैं। उन्होंने अपने साथियों के साथ मिलकर 35 गांवों का सुव्यवस्थित ढंग से पुर्नवास किया।

जब जुल्म उनके कार्यकर्ताओं पर इस कदर बढऩे लगे तो उन्होंने छत्तीसगढ़ राज्य को छोड़ने और पूरे देश में यात्रा करने का तय किया और लोगों से बात करके आदिवासियों के हालात के बारे में बताने का तय किया जो कि कोई भी मीडिया रिपोर्ट नहीं कर रहा है। सरकार पत्रकारों को आदिवासी क्षेत्रों में प्रवेश तक नही करने देती। इससे आम व्यक्ति की व्यथा और हालात कोई जान नही पा रहा है लेकिन दांतेवाडा सहित आदिवासी क्षेत्रों की हालात बहुत खराब है। कई निर्दोष लोग काल ग्रसित हो रहे है।

हिमांशु ने कहा कि जहां- जहां पर वे जा रहे हैं, युवा और बुजुर्ग उनके साथ साइकिल पर एक गांव से दूसरे या कुछ दूर तक यात्रा कर रहे हैं। पंजाब में बारिश और बाढ़ के हालात के कारण उन्होंने अपनी यात्रा साइकिल, बस या जीप से पूरा किया। प्रत्येक गावं, बस्ती, कस्बे, मोहल्ले में वे आम सभाओं का आयोजन कर रहे हैं और युवाओं के साथ व्यक्तिगत सम्पर्क कर रहे है, रेडियो वार्ताएं दे रहे हैं, मीडिया के साथ संवाद कर रहे हैं। अतः आप भी आदिवासियों को न्याय दिलाने मे उनका साथ दे।

माणिक जी

About माणिक जी

ग्रामीण परिवेश का वासिन्दा मैं पिछले १५ सालों से शहर की हवा खा रहा हूँ. कहने को सरकारी नौकर हूँ,मगर काम बराबर करता हूँ,ऑल इंडिया रेडियो के लिए पार्ट टाइम उदगोषक हूँ,पत्र-पत्रिकाएं पढ़ने की रूचि पाल रखी है,कभी कभार छपना भी अच्छा लगता है.मगर ये काम दायित्व समझ कर करता रहा हूँ.स्पिक मैके जैसे नामचीन आन्दोलन से अन्दर तक जुड़ा हुआ हूँ,घर,परिवार और नौकरी से फ़ुरसत मिलते ही इंटरनेट पर टूट पड़ता हूँ पड़ताल करने को अपनों की और ज्ञान बढाने की कोशिश भी भर कर लेता हूँ.कभी-कभार.वैसे इतिहास में एम.ए. और बी.एड. किया है.जातिवाद,धड़ेबाजी,पुरुस्कारो
ं की राजनीति और चापलूसी मेरे निशाने पर रहे हैं. http://apnimaati.com

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